बदलते जा रहे हैं क्यूं | Kyon Shayari
बदलते जा रहे हैं क्यूं
( Badalte ja rahe hain kyon )
सुहाने ख्वाब मुट्ठी से फिसलते जा रहे हैं क्यूं
जो हैं नजदीक दिल के वो बदलते जा रहे हैं क्यूं
किये सब फैसले दिल से बड़ी गलती हमारी थी
गलत वो फैसले सारे निकलते जा रहे हैं क्यूं
अना उनमें बहुत है आजकल लेकिन मुहब्बत में
वो पत्थर मोम के जैसे पिघलते जा रहे हैं क्यूं ।
कहा करते हमेशा हुस्न है इक आग का दरिया
वही इस आग की ख़ातिर मचलते जा रहे हैं क्यूं।
ज़रा ये सोचिए की हसरतों के इस सफ़र में हम
हमारी चंद ख़ुशियों को निगलते जा रहे हैं क्यूं।
बड़ी हैरत की जो डूबे हुए थे इश्क़ में मेरे
निगाहें वो चुराकर अब सॅंभलते जा रहे हैं क्यूं।
नयन सच है कि दिल बच्चा है हमने बारहा देखा
कि झूठे ख़्वाब से भी हम बहलते जा रहे हैं क्यूं।
सीमा पाण्डेय ‘नयन’
देवरिया ( उत्तर प्रदेश )