हबीब | Nazm Habib

हबीब

( Habib )

मुझे लगा था मेरे लिए तुम तो कुछ कहोगे
मुझे लगा था तुम तो मुझे जानते ही होगे

मुझे लगा था तुम तो समझ पाओगे मेरी व्यथा
मुझे लगा था मेरा अस्तित्व तुम्हें तो होगा पता

मुझे लगा था मुझे नहीं मिली कभी जो
मुझे लगा था कि तुम तो दोगे मुझे वो तव्वजो

मुझे लगा था तुम तो मेरे निर्णयों पर गर्व करोगे
मुझे लगा था तुम तो मेरी गलतियों पे ना शर्म करोगे

मुझे लगा था तुम तो मेरी कामयाबी को मनाओगे
मुझे लगा था तुम तो मेरी खुशियों में शामिल हो जाओगे

मुझे लगा था तुम्हें तो मालूम होंगी गर्दिशें मेरी
मुझे लगा था तुम्हें तो जाननी होंगी ख्वाहिशें मेरी

मुझे लगा था तुम तो सम्मिलित होगे मेरी तश्नगी में
मुझे लगा था तुम तो उत्साहित होगे मेरी तरक्की में

मुझे लगा था तुम्हारे पहलू में महफूज़ रहूंगी मैं
मुझे लगा था तुम्हारे दिल की महबूब रहूंगी मैं

मुझे जो लग रहा था मुझे लगने दिया सदा तुमने
इस स्याही को मेरी नज़रों से ना हटने दिया तुमने

अपनी हकीकत से रूबरू ना होने दिया कभी तुमने
अपने झूठ में मेरा भरम ना खोने दिया कभी तुमने

शिखा खुराना

शिखा खुराना

यह भी पढ़ें :-

बहुत खूबसूरत हैं ये यादें

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *