
रब्ब सा तू
( Rabb sa tu )
तू भ़ी है पोशीदा और
वोह भी नज़र ना आये
हर सांस में है तेरा नाम
रग रग में वो भी समाये
इक तेरा ख्याल ही दे जाये तहरीक(जुंबिश)
एहसास उसस्का भी बढ़ा दे दिल की धड़कन
खुदा हो जहाँ काबा होता वहां
तू भी है जहाँ काबा बन जाये वहां
रॅब्ब जैसा तू, या तुझ जैसा है रब्ब
काफिर भी हो जाऊं पर कुफ्र भी ना हो पाये
काफिर भी हो जाऊं
पर कुफ्र भी ना हो पाये…..
लेखिका :- Suneet Sood Grover
अमृतसर ( पंजाब )