नीलकंठ महादेव | Neelkanth Mahadev par Kavita
नीलकंठ महादेव
( Neelkanth Mahadev )
सारी दुनिया का गरल पी नीलकंठ कहलाए।
ध्यान मग्न भोले शंकर शीश जटा गंग बहाए।
भस्म रमाए तन पे बैठे हैं गले सर्पों की माला।
हाथों में त्रिशूल धारे शिव बाबा डमरू वाला।
बाघांबर धारी भोले शिव हे नंदी के असवार।
सब देवों के देव शंभू सारे जग के करतार।
शिव साथ तो शक्ति है जप तप योग भक्ति है।
नटराज लीला अनूठी चले सृष्टि सारी जगती है।
हे भोला भंडारी बाबा हे देवों में दातारी बाबा।
हे त्रिनेत्र धारी बाबा तांडव प्रलयंकारी बाबा।
हर हर महादेव शंभू हे बम बम भोले विश्वनाथ।
झोली भरते भक्त की भगवन सबका देते साथ।
कालों के काल महाकाल तुम भक्तों के प्रतिपाल।
दुष्टों के विनाशक हो तुम सुखदाई तुमही हो ढाल।
कवि : रमाकांत सोनी
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )
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