नेह शब्द नही | Neh Shabd Nahi
नेह
शब्द नही
प्रसंग का विषय नही
यह दृष्टिगोचर नही होता
यह कहा भी नही जाता
यह सिर्फ और सिर्फ
अनुभूत करने का माध्यम है
यह अन्तरतम में
उठा ज्वार है
नितान्त गहरा
जिसमें केवल समाहित होना है
उसके बाद फिर होश ही कहाँ रहता है
यह एक ऐसा आल्हाद है
जिसको शब्दातीत, वर्णातीत
नही किया जा सकता।
यह शब्दों के बंधनों में नहीं बंधता
सिर्फ अनुभूत किया जा सकता है
समय के अंतराल में परिवर्तित होता है
लेकिन—
इसमें एक शर्त यह है कि
यह बेशर्त होना चाहिए
जिसमें न अपेक्षा हो,
ना अवहेलना हो
ना ही तिरस्कार ही
जिसको किया जाए तो
सिर्फ आत्मा से,
मन की गहराइयों से
जो चिरन्तर हो,
जिसमें छटपटाहट हो,
अनुरक्ति हो,
तृषा हो,
और तो और
प्रणय की आकांक्षा हो,
जो जीवन के अंतिम छोर तक
तुम्हारे साथ चलने का
वादा करता हो।।
डॉ पल्लवी सिंह ‘अनुमेहा’
लेखिका एवं कवयित्री
बैतूल ( मप्र )
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