नेतागिरी (व्यंग )

Bhojpuri Vyang नेतागिरी

नेतागिरी (व्यंग )

( Netagiri – Vyang )

 

हमहू करबई नेतागिरी
झट से आए हमरो अमीरी
नेतागिरी में आराम बा
सबसे बढ़िया काम बा
एक बार जब जीत के जाईब
जिवन भर पेंशन हम पाईब
जब तक रहिब विधायक सांसद,
खूबई पैसा लेब कमाईब
हमहू करबई जम के लूट
बोलब जनता से खूब झूठ
रोजई करबई एक घोटाला
फेरब घुमी-घमी के माला
जनता हमके समझ न पाए
ऊपर से कुछ भेंट चढ़ाए
जहवां जाईब भीड़ जुटाईब
वादा करबई पाठ पढ़ाईब
हमरो लगे खूब जयकारा
साथ में देश विकास का नारा
घर -घर हमरो फोटो लागी
हमसे प्रीत सबै की जागी
जनता करे हमरो गुणगांन
हमहू बनबई खूब महान
समझो ना इसे भैया व्यंग ,
यही राजनीति का असली रंग।

?

कवि : रुपेश कुमार यादव ” रूप ”
औराई, भदोही
( उत्तर प्रदेश।)

यह भी पढ़ें :

Hindi Kavita | Hindi Poetry On Life | Hindi Poem -बाप

 

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *