नव वर्ष 2025 | New Year 2025
नव वर्ष
नव वर्ष की वैला में हमें खुद को सँभालना हैं ।
अन्तर की शुद्धि कर आत्मा को धोना हैं ।
इस जग के जाल में हमको नहीं फँसना है ।
नव वर्ष की वैला में हमें खुद को सँभालना हैं ।
राग – द्वेष के भावों को दिल से निकालना हैं ।
धर्म के रस का पान कर हल्के होते चलना हैं ।
नव वर्ष की वैला में हमें खुद को सँभालना हैं ।
जो किया पाप आखिर में पछताना पड़ेगा ।
बुरे का नतीजा अंत में बुरा ही आयेगा ।
नव वर्ष की वैला में हमें खुद को सँभालना हैं ।
अपनी वाणी से अमृत रस सदा हमको घोलना हैं ।
विशालता को धार इस जबां से मधु रस हमको घोलना हैं ।
नव वर्ष की वैला में हमें खुद को सँभालना हैं ।
धन के साथ में विसर्जन को हमको अपनाना हैं ।
जीवन में धर्म को अपना उच्च शिखर चढ़ते जाना हैं ।
नव वर्ष की वैला में हमें खुद को सँभालना हैं ।
सच्ची शिक्षा से जीवन बनता सही से खरा ।
ध्यान में रत रहकर प्रभु से प्रेम हम लगा ले जरा ।
नव वर्ष की वैला में हमें खुद को सँभालना हैं ।
मन को नहीं जीते तो औरों को क्या जीतेंगे ?
शास्त्रों के ज्ञान बिना अपने जीवन को क्या पढ़ेंगे ?
नव वर्ष की वैला में हमें खुद को सँभालना हैं ।
आत्मा का ज्ञान कर सदैव आगे बढ़ना हैं ।
अमृत का निर्मल निर्झर पाने आगे बढ़ना हैं ।
नव वर्ष की वैला में हमें खुद को सँभालना हैं ।
आत्मा का शुद्ध दिव्य प्रकाश को पाना हैं ।
अरिहंत , सिद्ध बनकर मोक्ष को पाना हैं ।
नव वर्ष की वैला में हमें खुद को सँभालना हैं ।
अन्तर की शुद्धि कर आत्मा को धोना हैं ।
नव वर्ष की वैला में हमें खुद को सँभालना हैं ।
प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़)
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