निगाहें अश्कों में ही तर रही है!

निगाहें अश्कों में ही तर रही है!

निगाहें अश्कों में ही तर रही है!

 

 

निगाहें अश्कों में ही तर रही है!

यादें दिल पे देती नश्तर रही है

 

मुहब्बत की नजर से क्या देखेगा

वो आंखों प्यार से  बंजर रही है

 

सहारा दें वफ़ा से जो हमेशा

निगाहें ढूंढ़ती वो दर रही है

 

उल्फ़त के तीर कब मुझसे  चलाये

चलाती वो आंखें ख़ंजर रही है

 

दिखाकर बेवफ़ाई की वो आंखें

 मेरे दिल पे देती नश्तर रही है

 

✏

शायर: आज़म नैय्यर

(सहारनपुर )

ह भी पढ़ें : 

ए यारों मेरी पत्नी मेरी शान है | Ghazal for wife in Hindi

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *