Nikharta bhi pyar pyar mein nar

निखरता भी प्यार में नर बिखरता भी प्यार में | गीत

निखरता भी प्यार में नर, बिखरता भी प्यार में

( Nikharta bhi pyar pyar mein nar, bikharta bhi pyaar mein )

 

निखरता भी प्यार में नर, बिखरता भी प्यार में।
खिलता चांद सा मुखड़ा, महके प्यार के इजहार में।
दिलों के संसार में, दिलों के संसार में।

 

एक अजब अहसास है यह जिंदगी में खास है
प्रीत का सिंधु है पावन, धड़कनों का विश्वास है।
प्रेम में पागल दीवाना वो, जीत जाता हार में।
दिलों के संसार में, दिनों के संसार में।

 

टूटता है दिल कभी तो, कांच सा बिखर जाता।
अरमानों की होली जलती, दिल गमों से भर जाता।
सारी दुनिया बेगानी सी, लगती है बाजार में।
दिलों के संसार में, दिलों के संसार में।

 

प्रेम की रसधार में तुम, डूब कर जानो जरा।
मां के आंचल में भी झांको, प्यार का सागर भरा।
मीरा दीवानी हो गई, माधव के प्रेम दुलार में।
दिलों के संसार में, दिलों के संसार में।

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रचनाकार : रमाकांत सोनी सुदर्शन

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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