निर्मल जैन ‘नीर’ के हाइकु | Nirmal Jain ke Haiku
नयी सुबह
नयी सुबह की सूर्य रश्मियाँ
देखो धरा पर उतर आई है
गेंदा ,गुलाब,कनेर भी देखो
बगिया में फिर मुस्कुराई है
बीती ताही बिसार दे रे मूर्ख
अब सोचने का समय गया
नये उत्साह व नयी उम्मीदें
ले जाग उठी ये तरूणाई है
आई है होली
आई है होली~
भूल के नफ़रत
करो ठिठोली
•
उमड़ा प्यार~
जब हुई रंगों की
यहाँ बौछार
•
बजा मृदंग~
तू थोड़ा सा झूम ले
दोस्तों के संग
•
होगा मलाल~
अपनों के संग न
खेली गुलाल
•
कहना मान~
हो न रंग में भंग
रखना ध्यान
•
समाज
नयी उम्मीदे ,नया समाज हो
स्नेह-दुलार समर्पण भाव हो
भूल जा तू पाश्चात्य संस्कृति
हर दिल पर तेरा ही राज हो
अपनी औकात
अपने रूप
पद,मान-सम्मान
और गौरव पर
क्यों करता है तू रोज
अभिमान
सब कुछ यहीं धरा
रह जाएगा
समझ… ले मूर्ख इंसान
ये पिंजरे का पंछी
न जाने कब इस अंनत में विलिन हो जाएगा
धन-दौलत,ऐश्वर्य और ये
ऐशोआराम यहीं
धरा का धरा रह जाएगा
अपनी औकात
देखनी है अगर तो देख
जाकर जरा
शमशान की राख
जहाँ पर पड़े हैं
कई अरबों-खरबोंपति
बनकर खाक…!!!
स्त्री
स्त्री
होती महान
उसके चरणों में
होता सारा
जहान
•
स्त्री
की सूरत
त्याग प्रेम समर्पण
की होती
मूरत
•
स्त्री
सदैव होती
घर की लाज
क्यों लुटती
आज
•
करो
सदा मान
कभी मत करना
नारी का
अपमान
•
खुशियों
से चहकता
घर रूपी गुलशन
स्त्रियों से
महकता
महादेव
महादेव सब भक्तों के प्यारे
नीलकण्ठ इस जग से न्यारे
भोले भंडारी हैं त्रिशूलधारी
मैया पार्वती की हैं वो दुलारे
मेरे सपने
जब परिश्रम की भट्टी में हम तपने लगे
खूबसूरत से ख़्वाब नयनों में
सजने लगे
जो कभी थे मेरी जिंदगी में परायों से
न जानें क्यों आज मुझे सब
अपने लगे
धड़कन
कभी तेरी यादों में दिल बहकता है
कभी दर्द आँसू बनकर छलकता है
न जाने मेरी किस्मत को क्या है मंजूर
कभी मोहब्बत में ये दिल धड़कता है
मुसाफ़िर
मुसाफ़िर यों ही चलता चल
राह अपनी ख़ुद बढ़ता चल
धरा पर बिछे हों लाख काँटे
नित नये स्वप्न तू गढ़ता चल
सुगंध/महक
अपने सद्कर्मों से तुम महका करो
यों मत व्यर्थ में ही तुम
चहका करो
स्वर्ग और नर्क हैं यहीं
पर बन्धुओ
किसी के इशारों पर यों
न बहका करो
बेटियाँ
बेटियाँ घर की शान
वो खुद की खुशियाँ
करती सदैव कुर्बान
●
बेटी को पढ़ने दो
अपनी मंजिल की
ये सीढ़ी चढ़ने दो
●
बेटियाँ है अरमान
अनमोल उपहार
ईश का है वरदान
●
नफरत
नफरत तुम मत किसी से किया करो
हो सके तो प्रेम सभी को
दिया करो
नफरत से कौन जी पाया
है सुकून से
मोहब्बत की बस्ती में तुम
जिया करो
स्वामी विवेकानंद ( युवा दिवस )
कोटि वंदन~
स्वामी विवेकानंद
अभिनन्दन
•
महान संत~
वेद धर्म शास्त्रों की
ऊर्जा अंनत
•
जलाई ज्योत~
वो युवा शक्ति के थे
प्रेरणा- स्त्रोत
•
थकना नहीं~
लक्ष्य प्राप्ति के बिना
रूकना नहीं
•
विश्व भौचक्का~
धर्म व संस्कृति का
बजा था डंका
•
युग पुरूष~
स्वामी विवेकानंद
महापुरूष
•
गौरवगाथा~
युवा दिवस पर
विश्व है गाता
•
आवाज उठाएँ
आओ हम अन्याय-जुर्म के खिलाफ आवाज उठाएँ
उन्हें भरी कानूनी अदालत में अच्छा सबक सिखाएँ
ताकी गुनाह करने से पहले
वो मुज़रिम सौ बार सोंचे
और अपने मन में भूलकर
भी यह ख्याल नहीं ला पाएँ
नूतन वर्ष
बदला दौर~
वक्त के साथ चल
सुहानी भोर
●
नयी किरण~
दौड़ रहा मन का
देखो हिरण
●
बदला ढंग~
पुराने संस्कारों की
कटी पतंग
●
गुजरा साल~
हृदय के भीतर
कई सवाल
●
राग न द्वेष~
अखण्डित हो मेरा
भारत देश
●
उठी तरंग~
चारों तरफ देखो
छाई उमंग
●
नूतन वर्ष~
जन मानस में है
हर्ष ही हर्ष
●
बेटियाँ
बेटियाँ घरों की शान होती है
माँ-बाप का अरमान होती है
बेटियों को उड़ने दो ऊँचाई पर
खुशियों का आसमान होती है
बलिदान
आओ हम आज करते उन सभी को प्रणाम
जो देश हित न्यौछावर कर गए अपनी जान
परंतु ये तिरंगा कभी झुकने नहीं दिया यारों
बना रहा अखण्डित भारत व उसका सम्मान
अक्सर
अक्सर
ऐसा होता है कि
इंसान जब
बहुत कुछ कहना
चाहता है
मगर चाह कर भी
कुछ कह नहीं
पाता है
होठों पर हो लाख
शिकायतें
मगर वो मौन रह
जाता है
जिससे करता उम्मीद
बुरे वक्त में
वही धोखा दे जाता है
तब हजारों की
भीड़ में भी वो स्वयं को
अकेला पाता है
बस….अपनों के बीच वो
ख़ुद को बेबस
लाचार और ठगा सा
महसूस करता है………!!!
निशान
वक्त के कपाल पर निशान तू छोड़ता चलता चल
नित अपने सुनहरे ख्वाब जीवन में तू गढ़ता चल
चाहें आती रहे कितनी ही मुश्किलें इस पथ पर
बस अपने लक्ष्य की तरफ़ तू यों ही बढ़ता चल
हमसफ़र
हमसफ़र
यों ही मिलता नहीं
बिना हमसफ़र
ये रास्ता कटता नहीं
स्वार्थ से भरी
हुई है यारों ये दुनिया
निःस्वार्थ हो
ऐसा कोई दिखता नहीं
मेजर ध्यानचंद
कोटि वंदन~
मेजर ध्यानचंद
अभिनन्दन
•
यश फैलाया~
हॉकी के जादूगर
नाम कमाया
•
धूम मचाई~
ओलम्पिक में जब
जीत दिलाई
•
अद्भत खेल~
होनहार खिलाड़ी
कोई न मेल
•
अद्भुत बन्दा~
शायरी के शौकीन
दिलों में जिंदा
•
हौसलों की जीत
जो बीत गई~
समझ लेना यारों
वो रीत गई
●
बीती बिसार~
यदि है जिंदगी से
ख़ुद को प्यार
●
बदल सोच~
वरना ये ज़िंदगी
लगती बोझ
●
बढ़ता चल~
हौसलों की उड़ान
भरता चल
●
भूलें बिसरा~
मस्ती भरा सावन
यहाँ बिखरा
●
प्रेम भाव
जगत में
प्रेम भाव अपनाएँ
आपस के
वैर भाव भूल जाएँ
दुनिया है
बहुत ही खूबसूरत
आपस में
योंभाई-चारा बढ़ाएँ
जीवन के
सारे रंजो गम पल में
ही बिसराएँ
चारों ओर हो खुशियाँ
आंनद मनाएँ
आओ जगत में प्रेम
भाव अपनाएँ
सारे वैर भाव भूल जाएँ..!!
शिवशंकर
हे!उमापति~
भोले शिवशंकर
कैलाशपति
••
हे!त्रिपुरारी~
कण-कण में व्याप्त
त्रिशूलधारी
••
हे ! महादेव~
तीनों लोक में पूज्य
देवो के देव
••
हे!आशुतोष~
तेरी भक्ति में रहूँ
मैं मदहोश
••
हे!नटराज~
तेरी कृपा से होवें
पूरण काज
••
हिंदी पत्रकारिता दिवस
यश फैलाया~
हिंदी पत्रकारिता
दिवस आया
•
चौथा स्तम्भ~
पत्रकारिता करे
आज स्तब्ध
•
बदला दौर~
ये पत्रकारिता की
कैसी है भोर
•
सच बोलती~
देखो पत्रकारिता
राज खोलती
•
नही रूकती~
पत्रकारिता कभी
नही झुकती
•
गुरू नानक देव
अपार हर्ष~
जन्में गुरू नानक
प्रकाश पर्व
•
प्रथम गुरू~
किया खालसा पंथ
उन्होनें शुरू
•
गुरू नानक~
मूर्ति पूजा का किया
बहु खण्ड़न
•
नहीं भुलाया~
जब सवा लाख से
एक लड़ाया
•
अद्भुत योद्धा~
सत्य धर्म के प्रति
अगाध श्रद्धा
•
क़ीमत इंसान की
सुन
ले नादान
मत लगा क़ीमत
तू इंसान
की
●
रिश्ते
हैं अनमोल
निभा तू मानवता
क्यों लगाता
मोल
●
कैसा
आया रोग
इंसानियत मर गई
पत्थर दिल
लोग
●
क्यों
भूल जाता
मुसीबत के वक्त
इंसान काम
आता
●
जिंदा
भूल जाता
मरने के बाद
मूल्य याद
आता
●
शनिदेव
करूँ प्रणाम~
शनिदेव की कृपा
जग कल्याण
•
पूर्ण हो आशा~
सच्चे मन से पढ़ो
शनि चालीसा
•
रूद्रावतार~
शनि महाराज हैं
तारणहार
•
शनि देवता~
नव ग्रहों के स्वामी
न्यायदेवता
•
एक ही युक्ति~
भज लो शनिदेव
संकट मुक्ति
एक दीपक
इस दिवाली
एक दीपक उन
गरीबों की
झुग्गी झोपड़ियों में
जला देना
जिन के चिराग
बुझे हुए हैं
उन होठों पर भी
थोड़ी सी
मुस्कान ला देना
जिन चेहरों पर
मायूसी छाई हुई हो
एक दीया
उन घरोँ में भी
प्रज्ज्वलित कर देना
जो सरहदों पर
मुस्तेदी से
पहरा दे रहें हैं
एक दीपक
नफ़रत भुलाकर
स्नेह और
सौहार्द का तुम
जला देना
जहाँ फिर दिलों में
आत्मविश्वास
की दिव्य रोशनी
जगमगा उठे……!!!
दीपावली
दिवाली आई~
हर गली मोहल्ले
खुशियाँ छाई
•
ख़ुशी अपार~
मिटे ये दरिद्रता
भरे भण्डार
•
हर्ष ही हर्ष~
दीपावली का आया
पावन पर्व
•
मंगलमय~
दीपावली मनायें
आनंदमय
•
शुभकामना~
रिद्धि-सिद्धि से पूर्ण
मनोकामना
रूप चौदस
थोड़ा सँवर~
तेल उबटन से
खुब निखर
●
पर्व अनूठा~
नरक चतुर्दशी
यम की पूजा
●
प्रभु का साथ~
नरकासुर वध
कृष्ण के हाथ
●
क्षण भंगुर~
चार दिन चाँदनी
मुख का नूर
●
खुद में झाँक~
हृदय के भीतर
दर्द की राख
●
धनतेरस
पावन पर्व~
आई धनतेरस
छाया है हर्ष
●
धनतेरस~
प्रकटे धन्वन्तरि
आयु व यश
●
धन के ढेर~
धनतेरस को तू
पूज कुबेर
●
करो नमन~
सांध्यकाल में होता
यम दीपक
●
शुभकामना~
सुख,शांति समृद्धि
प्रभु याचना
●
निर्मल जैन ‘नीर’
ऋषभदेव/राजस्थान
परिवार में प्रेम
परिवार में
अब नही रहा प्रेम
दुनिया के
समक्ष दिखावा
हर रोज़
एक चेहरे पर
होता है
एक नया चेहरा
अच्छे और
हितेषी होनें का
करते ढोंग
भीतर से करते
अपनों पर
घात पे प्रतिघात
मुख पर है
मीठी मुस्कान
जो होती
सिर्फ और सिर्फ़
एक छलावा…….!!!
करवा चौथ
चन्द्र दर्शन~
सुहाग का प्रतीक
करवा चौथ
•
कर श्रृंगार~
चन्द्र देख पिया का
है इंतजार
•
धवल चाँद~
दीर्घायु हो साजन
माँगती दुआ
•
मनोकामना~
अमर हो सुहाग
यही भावना
•
सुखी संसार~
गंगा सा है पावन
निर्मल प्यार
•
समय/वक्त
कभी अर्श पे~
समय बलवान
कभी फ़र्श पे
•
न हो गुमान~
एक पल में मिट
जायेगा मान
•
कभी थे फूल~
बदल गया वक्त
आज हैं शूल
•
तीखी है धार~
मत बैठ वक्त से
हिम्मत हार
•
चलता चल~
वक्त के साथ-साथ
बढ़ता चल
•
विजयादशमी
छाया है हर्ष~
विजयदशमी का
आया है पर्व
●
आये न लाज~
राम-वेश में छुपे
रावण आज
●
भीतर झाँक~
बैठा है दशानन
कर दे ख़ाक
●
रख विश्वास~
आसुरी शक्तियों का
हो सर्वनाश
●
प्रभु श्री राम~
मर्यादा पुरुषोत्तम
आठों ही याम
●
माँ सिद्धिदात्री
पावन पर्व~
नवरात्रि में छाया
हर्ष ही हर्ष
●
सिंहवाहिनी~
माता है सिद्धिदात्री
कमलासिनी
●
नव निधियाँ~
माँ से पाई शिव ने
अष्ट सिद्धियाँ
●
करो प्रार्थना~
माँ से होती है पूर्ण
मनोकामना
●
कर लो सेवा~
माँ की कृपा दृष्टि से
मिलता मेवा
●
भक्ति की धुन~
माँ का है दरबार
थोड़ा सा झूम
●
माँ महागौरी
अद्भुत शक्ति~
माँ मंगल दायिनी
कर लो भक्ति
●
है उपकार~
माँ करती दैत्यों का
सदा संहार
●
छूटते पाप~
माँ गौरी की कृपा से
मिटे संताप
●
पाते ऐश्वर्य~
श्रद्धा से जो पूजते
मिले सौंदर्य
●
रख विश्वास~
माँ करूणा सागर
दुःख न पास
●
माँ कुष्मांडा
मूरत प्यारी
मैया तेरी ये लीला
बड़ी है न्यारी
●
प्रभा प्रचण्ड~
निर्मल मन्द हँसी
रचा ब्रह्माण्ड
●
गाथा हैं गाते~
ब्रह्मा विष्णु महेश
जिनको ध्याते
●
सुख का धाम~
अष्ट भुजाओं वाली
कुष्मांडा नाम
●
त्यौहार आया~
आज चौथा दिवस
उल्लास छाया
●
माँ चन्द्रघण्टा
मन मोहता~
माँ चन्द्रघण्टा शीश
चंद्र सोहता
●
महिमा भारी~
है दस भुजा धारी
सिंह सवारी
●
था हाहाकार~
महिसासुर मारा
हो जयकार
●
कर उद्धार~
तलवार त्रिशूल
दुष्ट संहार
●
कर लो ध्यान~
माता चन्द्रघण्टा का
होगा कल्याण
●
माँ ब्रह्मचारणी
अद्भुत रूप~
माता ब्रह्मचारिणी
शक्ति स्वरूप
●
तपश्चारिणी~
हे!जगत कल्याणी
ब्रह्मचारिणी
●
प्रभु शरण~
निर्जल निराहार
शिव अर्पण
●
शक्तिधारिणी~
त्याग तप वैराग्य
सिद्धिधारिणी
●
तू सुख कर्ता~
सकल जगत की
तू दुःख हर्ता
●
महात्मा गाँधी
प्रणेता
महात्मा गाँधी
अंग्रेजों के विरुद्ध
भारत छोड़ों
आंदोलन
•
किया
एक अगाज
स्वतंत्रता पाने को
मिला सबका
साथ
•
अंग्रेज
हुए मजबूर
लौटाना पड़ा उनको
स्वतंत्रता का
नूर
•
साकार
हुआ सपना
भारत देश हुआ
तबसे मित्रों
अपना
•
करें
हम वंदन
जो शहीद हुए
उनको कोटि
नमन
वीर भगत सिंह
कोटि वन्दन~
वीर भगतसिंह
माथ चन्दन
●
थे मतवाले~
अमर राष्ट्र भक्ति
थे वो दीवाने
●
वीर महान~
आजादी के ख़ातिर
हुए कुर्बान
●
राष्ट्र न भूले~
हँसते-हँसते वो
फाँसी पे झूले
●
अमर गाथा~
वीर चरण रज
झुकता माथा
●
बेटियाँ
बेटियाँ घर की शान
वो खुद की खुशियाँ
करती सदैव कुर्बान
●
बेटी को पढ़ने दो
अपनी मंजिल की
ये सीढ़ी चढ़ने दो
●
बेटियाँ है अरमान
अनमोल उपहार
ईश का है वरदान
●

निर्मल जैन ‘नीर’
ऋषभदेव/राजस्थान
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