ओ इंसान | Oye Insaan
ओ इंसान
( Oye Insaan )
ओ इंसान ,
हर जगह छोड़,
अपनी अच्छाई के निशान ।
और अपनी, सच्चाई के निशान ।
बस इसी में लगा , तू अपनी जान ।
पहले बन , अच्छा इंसान ।
फ़िर गुणवान, और चरित्रवान ।
लोग करें , तेरा गुणगान ।
कर तू कुछ , ऐसा मेरी जान ।
बना अलग ,अपनी पहचान ।
करें सब तुझपर, जां कुर्बान ।
तब ही तू ,कहलायेगा महान ।
याद रखेगा, तुझे जहान ।
क़ायम रख, अपना ईमान ।
त्याग ना मत ,कभी स्वाभिमान ।
बढ़ा अपने, किरदार की शान ।
समझा मेरे, प्यारे इंसान ।
श्रीमती प्रगति दत्त
अलीगढ़ उत्तर प्रदेश
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