पालक | Paalak
पालक
( Paalak )
जीवित रहना तो उम्र गुजारना है
आपके जीवन का निष्कर्ष तो
कर्म और व्यवहार से ही
प्रतिपादित होता है…..
ऊंचा आसन या
प्रतिष्ठित कुल मे बनाम लेना
आपके प्रारब्ध का फल है
हो रहा क्षीण जो पल प्रति पल
भविष्य निर्णय तो
वर्तमान की नींव पर ही होता है….
किसी को जानने के पहले
स्वयं को भी खड़ा देखें वहीं
वक्त के समंदर मे गहराई तो है
किंतु
लहरें खींच लाती हैं किनारे तक सब कुछ…
जो है
वह आपका नही है
मिला हुआ है आपको
उसके सरंक्षण और संवर्धन के लिए ही
वह ,
जा भी सकता है
मिली सांसों की तरह…..
स्वामी होकर भी आप स्वामी नही
सिर्फ पालक हैं…
( मुंबई )