चौहान शुभांगी मगनसिंह जी की कविताएँ | Chauhan Shubhangi Poetry
हूँ मैं अंधेरी रात हूँ मैं अंधेरी रात… मुझसे ही रोशन है जुगनुओं की बारात चाँद है चमकता बिखरती है चाँदनी मुझसे ही जब हो पूनम की बात हूँ मैं अंधेरी रात … अमावस मेरी ही गोद में है खेलती और ज्यादा घना अंधेरा करता है मुझसे दो दो हाथ गिद्ध की आवाज़ कुत्ते भी…