Maqsad par kavita

मकसद | Maqsad par kavita

मकसद ( Maqsad )   ज्ञान मंजिल तक पहुंचाता है पर मंजिल का पता हो   ध्यान मकसद तक ले जाता है अगर ध्यान मकसद पर डटा हो   चूर चूर हो जाते हैं सारे सपने जब मार्ग ही लापता हो   इच्छाएं सपने उद्देश्य पूरे होते हैं जब खुद में समर्पण की दक्षता हो…

Poem on papa in Hindi

पापा | Poem on papa in Hindi

पापा ( Papa )   हर घड़ी याद आ रही पापा रोज़ आँखों में है नमी पापा   रात दिन दिल उदास है मेरा आपकी है यहां कमी पापा   छोड़कर ही तन्हा गये जब से आपके बिन नहीं हंसी पापा   आपके जाने से यहां दिल में एक पल भी न है ख़ुशी पापा…

Bhakti Geet

आट्टुकाल माता | Bhakti Geet

आट्टुकाल माता- भक्तिगीत   कुछ नहीं जानती आट्टुकाल माते कुछ नहीं जानती आट्टुकाल माते अनजानी राहों पर उंगली पकड़ ले जाने से अविचल चित्त से मैं साथ आयी। (कुछ)   आदि मध्यान्त ज्ञान स्वरूपे आकुलताओं को दूर करने तू आयी। जानती हूँ मैं तेरी अभौम शक्ति , जानती हूँ तुझे आदि पराशक्ति । ( कुछ…

मौन | Kavita maun

मौन | Kavita maun

मौन ( Maun )   एक समय के बाद बहुत उत्पीड़न अन्तत: मौन की ओर हमें ले जाता है। और मौन? निराशा की ओर। निराशा किसी अपने से नहीं, ईश्वर के किसी निर्णय से नहीं। मात्र खुद से। अकेले रहते रहते हमारी आत्मा इतनी कुण्ठित होती जाती है, कि हमारा क्रोध, प्रतिशोध, आकाँक्षायें सब कुछ…

Poem shantidoot

शांतिदूत | Poem shantidoot

शांतिदूत ( Shantidoot )   शांति दूत सृष्टि नियंता माधव हस्तिनापुर आए खबर फैल गई दरबारों में मैत्री का संदेशा लाए   महारथियों से भरी सभा स्वागत में दरबार सजा दिया संदेशा पांडवों का केशव क्या है कहो रजा पुत्र मोह में बंधे हुए धृतराष्ट्र कुछ कह नहीं पाते थे अधिकार आधा पांडवों का देते…

Poem zameer

ज़मीर | Poem zameer

ज़मीर ( Zameer )   आज फिर से ज़मीर का इक सवाल उठाती हूं मंचासीन के कानों तक ये आवाज़ पहुंचाती हूं   उनके स्वार्थ से बुझ गए हैं कुछ दीप खुशियों के ज़रा ठहरो कि पहले उनकी ज्योत जलाती हूं।   बना कर कुटुम्ब विशाल फिर क्यूँ आपस में लड़ते हो जिम्मेदारियाँ निभाने की…

Ghazal e ishq

फूल सा इक शख़्स मुझको चाहता है | Ghazal-e-ishq

फूल सा इक शख़्स मुझको चाहता है ( Phool sa ik shakhs mujhko chahta hai )     फूल सा इक शख़्स मुझको चाहता है पर किसी पत्थर से मेरा दिल लगा है   हिज्र उसका मुझको दीमक की तरह से दिन ब दिन अन्दर ही अन्दर खा रहा है   हो गया है मुझमें…

Tumhara ghar bhi jal jayega

तुम्हारा घर भी जल जाएगा |Tumhara ghar bhi jal jayega

तुम्हारा घर भी जल जाएगा ( Tumhara ghar bhi jal jayega )     तुम्हारा घर भी जल जाएगा , क्यों हो आग लगाते ।   नासमझ बन जाने की जिद, उन्हे भला कैसे समझाते।   नाम तुम्हारा ही आता , बताओं कैसे जख्म दिखाते।   टूटती नहीं ख़ाबो की ताबीर, मुझसे किया वादा कोई…

Bharat ke insan jago

हे! भारत के इंसान जगो, मैं तुम्हे जगाने आया हूं | Kavita

*हे! भारत के इंसान जगो, मैं तुम्हे जगाने आया हूं।” ( He! Bharat ke insan jago, main tumhe jagane aya hoon )     हे! भारत के इन्सान जगो ,मैं तुम्हें जगाने आया हूं। भारत मां का बेटा हूं, देवों ने यहां पठाया हूं।। परशुराम का फरसा जागे श्रीराम, के वाण यहां। चक्र सुदर्शन श्रीकृष्ण…

Aise rang bharo

ऐसे रंग भरो | Aise rang bharo | Kavita

ऐसे रंग भरो ( Aise rang bharo )   दिक्-दिगंत तक कीर्ति-गंध से सुरभित पवन करो ! दमक उठे जननी का आंचल , ऐसे रंग भरो !!   झिलमिल-झिलमिल उड़े गगन में मां का आंचल धानी । लिखो समय के वक्षस्थल पर ऐसी अमिट कहानी ।। ऊर्ध्व भाग में रंग शौर्य का केसरिया लहराये ।…