माने से दिल मानता नहीं है

माने से दिल मानता नहीं है!

माने से दिल मानता नहीं है!     माने से दिल मानता नहीं है! उसके बिन कुछ चाहता नहीं है   सदा इसे प्यार चाहिए दिल ख़ुशी ग़म ये जानता नहीं है   हाँ सिर्फ़ आता दिखाना गुस्सा कि प्यार वो बोलता नहीं है   कि नफ़रतों से मुझे वो देखें मुहब्बत से देखता नहीं…

आदमी की पहचान!

आदमी की पहचान!

आदमी की पहचान! ***** नहीं है आसान आदमी की पहचान! भाल पर नहीं उसके कोई निशान कहने को तो साथ खड़ा है दिख भी रहा है पर दरअसल वह गिरने का इंतजार कर रहा है गिरने पर उठाने का प्रयास नहीं करता, एक ठोकर मार आगे है बढ़ता! आपके खड़े होने से उसे ईर्ष्या है,…

उल्फ़त में चोट मिली ऐसी टूटे है

उल्फ़त में चोट मिली ऐसी टूटे है

उल्फ़त में चोट मिली ऐसी टूटे है     उल्फ़त में चोट मिली ऐसी टूटे है! यादों में उसकी अब ग़ज़लें सुनते है   इक भी आया न मुझे  दोस्त जवाब मुझे रोज़ उसे लिक्खे उल्फ़त के ख़त मैंनें है   इक भी अल्फ़ाज़ न उल्फ़त का था बोला बोले उसने तो शब्द सभी कड़वे…

तारीखें

तारीखें

तारीखें   क्या तारीखें सच में होती हैं ?? समय तो शाश्वत है न!! यह तो तारीखों में बंधा नही फिर तारीखों का क्या काम ? प्रकृति ने तो तारीखें नही बनायीं। कैलेंडर और तारीखें मनुष्य ने अपनी सुविधा हेतु ईजाद किये। इससे उसे स्वयं को, दुनिया को परिभाषित करने में आसानी होती है। यदि…

रोज दिखाये वो नखरे है

रोज दिखाये वो नखरे है

रोज दिखाये वो नखरे है     रोज दिखाये  वो नखरे है! बातें मेरी  कब सुनते है   सूखे फूल मुहब्बत के अब ऐसे उल्फ़त में लूटे है   नफ़रत की दीवारे है अब रिश्ते प्यार भरे  टूटे है   पहले प्यार कहा था उसने अब बातें से वो बदले है   भूल गये शायद…

नज़र

नज़र

नज़र ** नज़र लगी है उसको किसकी? मिटी भूख प्यास है उसकी। हरदम रहती सिसकी सिसकी, नज़र से उसके लहू टपकती। ना कभी हंसती, ना कभी गाती, विरह की अग्नि उसे जलाती। ना कुछ किसी से कहती, चेहरे पे छाई उदासी रहती। बातें करती कभी बड़ी-बड़ी, चांद तारों की लगाती झड़ी। ओ बावरी! कौन है…

माना कि हज़ारों ग़म है

माना कि हज़ारों ग़म है

माना कि हज़ारों ग़म है     माना  कि  हज़ारों  ग़म है हौंसला क्यूं त्यागे । छाया जो  भी  अंधेरा  कम रौशनी के आगे।।   अश्कों को  यहां  पीकर है मुस्कुराना पङना। ये राज  वो ही  जाने जिगर चोट जब  लागे।।   सब कर्म  बराबर  कर  ले सह के ये ग़म सारे। ग़म ही  ये …

साथ

साथ

साथ * कहते हैं वो हम साथ हैं साथ हैं ? तो कहने की क्या बात है? साथ! एक एहसास है। जो न आपके न मेरे पास है! फिर कहिए कौन किसके साथ है? एहसास ही जज़्बात है जहां जज़्बात है वहीं साथ हैं बाकी सब बात है। और , बात की क्या औकात है?…

वो पूछते हैं उस खुदा से 

वो पूछते हैं उस खुदा से 

वो पूछते हैं उस खुदा से    वो पूछते हैं उस खुदा से खामियाँ क्यूं खूब है। हम भूलते है उसकी मेहरबानियाँ भी खूब है।।     हर एक खुशी मिलती नहीं जीवन में हर इक शख्स को। इतिहास भी इसका गवाही देता है कहानियाँ भी खूब है।।     है आग भङकाती है तो…

टीआरपी का खेल!

टीआरपी का खेल!

टीआरपी का खेल! ( व्यंग्य ) ***** टीआरपी के खेल में अबकी धरे गए हैं भैया, देखना है अब कैसे उन्हें बचाते हैं सैंया? चिल्ला चिल्ला कर तीन माह से- बांट रहे थे इंसाफ! हाईकोर्ट ने पल में मिला दिया उसे खाक। कह दिया रिया ‘ड्रग सिंडिकेट’ का हिस्सा नहीं, बनाओ स्वामी कहानी कोई और…