याद में उसकी रो रही आंखें
याद में उसकी रो रही आंखें प्यार में उसने ऐसी भरी आंखें! याद में उसकी रो रही आंखें। प्यार से देखती थी जो मुझको वो दिखाती अब बेरुख़ी आंखें। प्यार में ही मिला दग़ा ऐसा हो गयी रोज़ अब नमी आंखें। आज वो दें गया आंसू मुझको प्यार…
याद में उसकी रो रही आंखें प्यार में उसने ऐसी भरी आंखें! याद में उसकी रो रही आंखें। प्यार से देखती थी जो मुझको वो दिखाती अब बेरुख़ी आंखें। प्यार में ही मिला दग़ा ऐसा हो गयी रोज़ अब नमी आंखें। आज वो दें गया आंसू मुझको प्यार…
सिंदूर दान रक्त वर्ण सुवर्ण भाल कपाल का श्रृंगार है यह। ये मेरा सिंदूर है भरपूर है संस्कार है यह।। तुम न होते मैं न होती कौन होता, फिर जगत में कुछ न रहता शून्य होता, पर हमारे प्रणय पथ के प्रण का मूलाधार है यह।।ये मेरा० सप्तफेरी प्रतिज्ञा जब प्रकृति में…
हर दिल पे छायी काई सी क्यूं है हर दिल पे छायी काई सी क्यूं है। हर इक शय आज पराई सी क्यूं है।। बेगाना अपनों में रह कर इंसा। हर दिल में यूं तन्हाई सी क्यूं है।। खुशियां तो दिखती मुखङे पे बेशक। दुख में इतनी गहराई सी क्यूं है।। …
ढ़ल रहा है सूरज होने को शाम है ढ़ल रहा है सूरज होने को शाम है और मछली पकड़े है मछयारा देखो राह देखें है बच्चें भूखे बैठे है लेकर आयेगे खाना पिता खाने को नाव में ही खड़ा है आदमी मुफ़लिसी वो ही मछली पकड़के गुजारा करता बादलो में…
टी.आर.पी. के चक्कर में ****** आजकल चैनलों पर न्यूज की जगह डिबेट आ रह रहे हैं, बहुत लोग अब टी.वी देखने से घबरा रहे हैं। जनता के सरोकार वाली खबरों की जगह- नफरत और हिंसा बढ़ाने वाले टॉपिक डिबेट में छा रहे हैं, टी.वी वाले एंकर एक तरह से जनता को उकसा रहे हैं। चीख-चीख…
तारक मेहता का उल्टा चश्मा °°°°°° –> ऐपिसोड हुए 3000 अभी, आगे भी होने बांकी हैं |?| 1.निश दिन नूतन संदेशा लाते, खुद हँसते और हंसाते हैं | अलग-अलग है कल्चर फिर भी, संग-संग रोते-गाते हैं | गोकुल धाम केे सब हीरे-मोती, एक धागे मे पिरोये हैं | उदासी मे खुशियां…
है गुल से हम को उलफ़त तो ख़ार भी है प्यारा है गुल से हम को उलफ़त तो ख़ार भी है प्यारा। गुलशन में खुश वही है जो समझ गया इशारा।। पत्थर पे मैंहदी पिसती अग्नि में तपता सोना। दुःखों को सहन करके जीवन सभी निखारा।। हम डूब जायें बेशक…
दोस्त करनी दुश्मनी अच्छी नहीं दोस्त करनी दुश्मनी अच्छी नहीं! रिश्तों में यूं बेरुख़ी अच्छी नहीं जिंदगी की लुट जाये खुशियां अगर फ़िर ये कटती जिंदगी अच्छी नहीं प्यार से मिलकर रहों हाँ उम्रभर यूं करनी नाराज़गी अच्छी नहीं चैन दिल का लुट ले जाती है सभी हाँ ये करनी…
हमने पढने पर कब रोक लगाई है हमने पढने पर कब रोक लगाई है। कपड़े सही कर लो इसीलिए तो ड्रेस लगाई है।। मैं नहीं कहता कि पश्चिम की कल्चर छोड़ दे। बस जरा खुले तन पर तू ओड ले।। आपत्ति नहीं है हमें तेरे जींस पर ,बस तू उसको फुल…