साथ
साथ * कहते हैं वो हम साथ हैं साथ हैं ? तो कहने की क्या बात है? साथ! एक एहसास है। जो न आपके न मेरे पास है! फिर कहिए कौन किसके साथ है? एहसास ही जज़्बात है जहां जज़्बात है वहीं साथ हैं बाकी सब बात है। और , बात की क्या औकात है?…
वो पूछते हैं उस खुदा से वो पूछते हैं उस खुदा से खामियाँ क्यूं खूब है। हम भूलते है उसकी मेहरबानियाँ भी खूब है।। हर एक खुशी मिलती नहीं जीवन में हर इक शख्स को। इतिहास भी इसका गवाही देता है कहानियाँ भी खूब है।। है आग भङकाती है तो…
टीआरपी का खेल! ( व्यंग्य ) ***** टीआरपी के खेल में अबकी धरे गए हैं भैया, देखना है अब कैसे उन्हें बचाते हैं सैंया? चिल्ला चिल्ला कर तीन माह से- बांट रहे थे इंसाफ! हाईकोर्ट ने पल में मिला दिया उसे खाक। कह दिया रिया ‘ड्रग सिंडिकेट’ का हिस्सा नहीं, बनाओ स्वामी कहानी कोई और…
याद में उसकी रो रही आंखें प्यार में उसने ऐसी भरी आंखें! याद में उसकी रो रही आंखें। प्यार से देखती थी जो मुझको वो दिखाती अब बेरुख़ी आंखें। प्यार में ही मिला दग़ा ऐसा हो गयी रोज़ अब नमी आंखें। आज वो दें गया आंसू मुझको प्यार…
सिंदूर दान रक्त वर्ण सुवर्ण भाल कपाल का श्रृंगार है यह। ये मेरा सिंदूर है भरपूर है संस्कार है यह।। तुम न होते मैं न होती कौन होता, फिर जगत में कुछ न रहता शून्य होता, पर हमारे प्रणय पथ के प्रण का मूलाधार है यह।।ये मेरा० सप्तफेरी प्रतिज्ञा जब प्रकृति में…
हर दिल पे छायी काई सी क्यूं है हर दिल पे छायी काई सी क्यूं है। हर इक शय आज पराई सी क्यूं है।। बेगाना अपनों में रह कर इंसा। हर दिल में यूं तन्हाई सी क्यूं है।। खुशियां तो दिखती मुखङे पे बेशक। दुख में इतनी गहराई सी क्यूं है।। …
ढ़ल रहा है सूरज होने को शाम है ढ़ल रहा है सूरज होने को शाम है और मछली पकड़े है मछयारा देखो राह देखें है बच्चें भूखे बैठे है लेकर आयेगे खाना पिता खाने को नाव में ही खड़ा है आदमी मुफ़लिसी वो ही मछली पकड़के गुजारा करता बादलो में…
टी.आर.पी. के चक्कर में ****** आजकल चैनलों पर न्यूज की जगह डिबेट आ रह रहे हैं, बहुत लोग अब टी.वी देखने से घबरा रहे हैं। जनता के सरोकार वाली खबरों की जगह- नफरत और हिंसा बढ़ाने वाले टॉपिक डिबेट में छा रहे हैं, टी.वी वाले एंकर एक तरह से जनता को उकसा रहे हैं। चीख-चीख…
तारक मेहता का उल्टा चश्मा °°°°°° –> ऐपिसोड हुए 3000 अभी, आगे भी होने बांकी हैं |?| 1.निश दिन नूतन संदेशा लाते, खुद हँसते और हंसाते हैं | अलग-अलग है कल्चर फिर भी, संग-संग रोते-गाते हैं | गोकुल धाम केे सब हीरे-मोती, एक धागे मे पिरोये हैं | उदासी मे खुशियां…