Search Results for: व्यंग्य

मुकदमा कंप्यूटर पर

मुकदमा कंप्यूटर पर | Vyang

मुकदमा कंप्यूटर पर ( Vyang : Mukadma computer par )   भोपाल गैस त्रासदी की बरसी मंह बाये मातम के रूप में खडी रहती है । शोक, संवेदनाएं और श्रद्धांजलियां अपनी जगह है मगर पूरे घटनाक्रम पर प्रस्तुत है यह व्यंग्य । जय किशन जी का एक कारखाना चूहा मार दवा बनाने का भी था…

hirdayagan online kavi sammelan

डा0 अलका अरोड़ा के संचालन में हृदयांगन संस्था मुंबई का हुआ आनलाइन राष्ट्रीय कवि सम्मेलन

स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर हृदयांगन साहित्यिक एवं सामाजिक संस्था मुंबई ने एक शाम देश के नाम कार्यक्रम 14 अगस्त 2021 को आयोजित किया जिसमे देश प्रेम तथा विविध गीतो की जमकर बरसात हुई।। कार्यक्रम की शुरूआत श्री सदाशिव चतुर्वेदी मधुर जी ने सरस्वती वंदना से की ।। चार घंटे चले इस कवि सम्मेलन…

अपना हिंदुस्तान अलग है

अपना हिंदुस्तान अलग है | Hindustan par kavita

अपना हिंदुस्तान अलग है ( Apna hindustan alag hai )   हम सब तो हैं भारतवासी वे रखते पहचान अलग।   अपना हिन्दुस्तान अलग है उनका हिन्दुस्तान अलग।।   वे  उड़ते  एरोप्लेन  से हम सब उनके रन वे हैं।   वे मक्खन हम मठा सरीखे हम पर अमर बेल वे है।।   वे तो हैं…

हिंदी भारतीय साहित्य में नया प्रयोग ‘3020 ई.’

Book Review | हिंदी भारतीय साहित्य में नया प्रयोग ‘3020 ई.’

राकेश शंकर भारती का उपन्यास 3020 ई. सम्भवत: हिंदी साहित्य का ऐसा पहला उपन्यास है जिसकी कल्पना का आधार विज्ञान है। आज से पूर्व हमने जितने उपन्यास पढ़े हैं वह एक परिपाटी से बंधे दिखायी देते हैं। एक कहानी जो आरंभ, उत्कर्ष, पराकाष्ठा से गुज़रती हुई फल को प्राप्त करती है। इसके अंतर्गत प्रेम कथाएँ,…

तुम्हारे संतान सदैव सुखी रहें

तुम्हारे संतान सदैव सुखी रहें | Lambi Kavita

तुम्हारे संतान सदैव सुखी रहें ( Tumhare santan sadaib sukhi rahe )   सभ्यता और संस्कृति के समन्वित सड़क पर निकल पड़ा हूँ शोध के लिए झाड़ियों से छिल गयी है देह थक गये हैं पाँव कुछ पहाड़ों को पार कर सफर में ठहरी है आत्मा बोध के लिए बरगद के नीचे बैठा कोई बूढ़ा…

चले नेताजी

Netaji par Vyang | चले नेताजी

व्यंग्य – चले नेताजी ( Vyang – Chale Netaji )   चले  हैं नेताजी समाज सेवा करने हरने  जनता–जनार्दन  की  पीड़ा, पाँव  उखड़  उस  गरीब का जाये जहाँ खड़ा हो जाए इनका जखीड़ा।   रखवारों की कुछ टोली है संग में कुछ  चाटुकारों   की   है  फौज, सेवा के नाम पर फोटो खिंचवावत मनावत हर जगह…

मेरी नजर में 'आका बदल रहे हैं' ग़जल संग्रह

Book Review | मेरी नजर में ‘आका बदल रहे हैं’ ग़जल संग्रह

मेरी नजर में ‘आका बदल रहे हैं’ ग़जल संग्रह ‘आका बदल रहे हैं’- गजल संग्रह, श्री विजय तिवारी का एक बहुत सार गर्भित ग़जल संग्रह है। साहित्य और समाज दोनों का चोली दामन का संबंध है, इस लिहाज से भी इन ग़जलों में प्रस्तुत भाव,विचार, व्यंग्य,जैसे-जैसे इस गजल संग्रह को हम पढ़ते हैं, वैसे वैसे…

मेरी नजर में 'आका बदल रहे हैं' ग़जल संग्रह

Book Review : Aaka Badal Rahe Hain -पुस्तक समीक्षा: आका बदल रहे हैं

  पुस्तक समीक्षा: आका बदल रहे हैं ( गजल संग्रह ) ( Book Review: Aaka Badal Rahe Hain )               लेखक: विजय कुमार तिवारी सेतु प्रकाशन माधव पार्क -२ बस्त्राल रोड, बस्त्राल अहमदाबाद -382418 मूल्य: रु. 180 डॉ अलका अरोडा प्रोफेसर -देहरादून के द्वारा आदरणीय श्रीमान विजय कुमार तिवारी…

अनोखा फैसला

अनोखा फैसला

अनोखा फैसला **** सुन आई हंसी और हुआ आश्चर्य जब फैसला सुनाया गया भाई! मुझसे तो ना रहा गया दुनिया का अनोखा और संभवतः इकलौता है मामला पहले भी आपने बाबरी मस्जिद विध्वंस जेसिका हत्याकांड और न जाने कितने फैसले देखे सुने होंगे, आश्चर्यचकित भी हुए होंगे! एक और फैसला आया है- जिसमें इंसान हुआ…

टीआरपी का खेल!

टीआरपी का खेल!

टीआरपी का खेल! ( व्यंग्य ) ***** टीआरपी के खेल में अबकी धरे गए हैं भैया, देखना है अब कैसे उन्हें बचाते हैं सैंया? चिल्ला चिल्ला कर तीन माह से- बांट रहे थे इंसाफ! हाईकोर्ट ने पल में मिला दिया उसे खाक। कह दिया रिया ‘ड्रग सिंडिकेट’ का हिस्सा नहीं, बनाओ स्वामी कहानी कोई और…