है घडी दो घडी के मुसाफिर सभी | Ghazal musafir sabhi
है घडी दो घडी के मुसाफिर सभी ( Hai ghadi do ghadi ke musafir sabhi ) है घडी दो घडी के मुसाफिर सभी । समझते क्यूं नहीं बात ये फिर सभी।। है खुदा वो बसा हर बशर में यहां। देख पाते नहीं लोग काफिर सभी ।। याद करता ना कोई किसी को…