है सभी के दिलों को लुभाती ग़ज़ल
है सभी के दिलों को लुभाती ग़ज़ल

है सभी के दिलों को लुभाती ग़ज़ल

( Hai sabhi ke dilo ko lubhati gazal ) 

 

है  सभी  के दिलों को लुभाती ग़ज़ल।

तार दिल  के सदा छेङ जाती ग़ज़ल।।

 

भावना   दूसरे  की  भी  अपनी  लगे।

 यूं दिलों को सभी जोङ पाती ग़ज़ल।।

 

दायरा    बहुत     सारा    समेटे   हुए।

बात  कोई  चले  याद  आती  ग़ज़ल।।

 

बात  ऐसी   कहे  चोट  दिल  पे   लगे।

लेप  जख्मी दिलों को लगाती ग़ज़ल।।

 

रूसवा   भी   करे   हर   खतावार  को।

जख़्म दिल के हरे कर दिखाती ग़ज़ल।।

 

कर  बयां चंद  लफ्जों मे ज़ज्बात को।

बात  ही  बात  में कह सुनाती ग़ज़ल।।

 

वीरता  के  कहीं   तो  कहीं  प्रेम  के।

ख्याल एक साथ सारे सजाती ग़ज़ल।।

 

ये खुदाने हुनर बख्शा उनको “कुमार”

नाम जिनका खुदाको सुझाती ग़ज़ल।।

लेखक: * मुनीश कुमार “कुमार “

हिंदी लैक्चरर
रा.वरि.मा. विद्यालय, ढाठरथ

जींद (हरियाणा)

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