पयमाना हमारे आगे
पयमाना हमारे आगे
लाइये साग़रो-पयमाना हमारे आगे
छोड़िये आप ये शर्माना हमारे आगे
हुस्ने-मतला —
क्या पियेगा कोई पयमाना हमारे आगे
अब भी शर्मिंदा है मयखाना हमारे आगे
हमने हर रुख से ज़माने का चलन देखा है
सोच के कहियेगा अफ़साना हमारे आगे
रोक क्या पायेंगे राहों के अंधेरे हमको
शम्अ रौशन है फ़कीराना हमारे आगे
हम वफ़ादार हैं उल्फ़त है हमारा ईमाँ
चाल चलिये न हरीफ़ाना हमारे आगे
हम परिंदे हैं जो करते हैं फ़लक से बातें
ज़िक्र कीजे न असीराना हमारे आगे
हर तमन्ना है रह-ए-ज़ीस्त की नज़्र-ऐ -महबूब
अब रहा और क्या नज़राना हमारे आगे
उम्र भर दिल की हिदायत पे अमल करते रहे
कैसे टिकता कोई फ़रज़ाना हमारे आगे
हम पुजारी हैं जलाते हैं तख़य्युल के चराग़
है हमेशा रुखे-जाँनाना हमारे आगे
ऐशो-आलाम को समझे जो बराबर वाइज़
है कहाँ आज वो दीवाना हमारे आगे
सुर्ख लब रेशमी ज़ुल्फ़ें हैं नशीली आँखे
आ गया जैसे कि मयखाना हमारे आगे
रूठ के क्या गया इक शख़्स भरी महफ़िल से
हो गया चार सू वीराना हमारे आगे
हम तो हैं शम्अ उजाले के सिवा क्या सोचें
लाख जलता रहे परवाना हमारे आगे
डर है शोले न लपक जायें इधर भी साग़र
आग ही आग है रोज़ाना हमारे आगे
कवि व शायर: विनय साग़र जायसवाल बरेली
846, शाहबाद, गोंदनी चौक
बरेली 243003
हरीफ़ाना–शत्रुतापूर्ण
असीराना–क़ैदियों सा
नज़्र–भेंट
फ़रज़ाना–बुद्धिमान
तख़य्युल –कल्पना
यह भी पढ़ें : –