Pani ki dastaan

पानी से पानी की दास्तां | Pani ki dastaan

पानी से पानी की दास्तां

( Pani se pani ki dastaan ) 

 

यह कहानी अजब है वो खता पूछिए।
बहते पानी से पानी की दास्तां पूछिए।

हमने मोती लुटाए फूलों सद्भावों के।
उजड़ा उपवन क्यों महकता पूछिए।

गीत लिखे थे हमने मोहब्बत है क्या।
टूटे अरमां दिल के अब पता पूछिए।

सुलझा लेते मसले बैठ घर में ही सदा।
राज दिल के किसी को यूं बता पूछिए।

मुस्कुराते कभी वो हमको यूं देखकर।
आज आंखें चुराते हमसे जता पूछिए।

एक आहट से सजता जब घर सारा।
दबदबा वो कहां है अब पता पूछिए।

चमन में महकते फूल क्यों बहारों के।
कहां गई वो बयारें डाली पत्ता पूछिए।

 

कवि : रमाकांत सोनी

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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