परछाई | जलहरण घनाक्षरी | Parchai chhand
परछाई
( Parchai )
चल पड़ती साथ में
साया बन परछाई
अपनी छवि जग में
पहचान बनाइए
हरदम देती साथ
हर राह डगर पे
अपनी परछाई को
उज्जवल बनाइए
मां की परछाई बेटी
खुशियों का है खजाना
हर खुशी उन्नति में
साथ सदा निभाइये
रोशन जीवन सारा
परछाई दे सहारा
समय की पहचान
श्रीमान जान जाइए
कवि : रमाकांत सोनी
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )