जनता की जागरूकता आई काम

जनता की जागरूकता आई काम

( Janta ki Jagrookta Aaee Kaam )

 

जाग गए हैं
जाग रहे हैं
वोटों को लेकर सजग हुए हैं
मतदान बाद
मशीन की निगरानी भी कर रहे हैं
बंगाल असम चुनावों में
नया ट्रेंड देखने को मिल रहे हैं।
करीमगंज की घटना साबित करती है,
जनता अब अपने वोटों की हिफाज़त भी करती है।
तभी तो प्रत्याशी की गाड़ी में देख ईवीएम
जनता भड़क गई,
पुलिस प्रशासन से उसकी झड़प हो गई।
लाठी चार्ज और हवाई फायर करनी पड़ी,
देश विदेश के अखबारों की सुर्खिया बनीं।
टीवी विश्लेषण और मंथन हुए,
गरमागरम बहस भी किए गए।
चुनाव आयोग को आगे आकर-
देनी पड़ी सफाई,
उस बूथ का चुनाव रद्द कर तत्परता दिखाई।
चार चार अधिकारियों को किया गया सस्पेंड,
कुछ इस तरह लापरवाह कर्मियों को दिया गया दण्ड
दुबारा चुनाव कराने की तिथि निर्धारित हुई,
ऐसे में जीत जनता की हुई।
जागरूकता आई काम!
साजिश थी या ना थी?
हुई नाकाम।

नवाब मंजूर

लेखकमो.मंजूर आलम उर्फ नवाब मंजूर

सलेमपुर, छपरा, बिहार ।

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