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श्रृंगार | Shrrngaar
श्रृंगार ( Shrrngaar ) मधुरम नयन काजल से प्रिय, अधर पंखुड़ी गुलाब की जैसे , लट गुघराली उड़े जब मुख पर मधुरम मुस्कान को संग लिए स्त्री अपने लाज भाव से ही पूर्ण करे अपना श्रृंगार सारा ।। रूप मोतियों के जैसा प्यारा कंचन बरण दमके यह कया हृदय में प्रेम के स्वर सजाकर…
मूल्य | Muly
मूल्य ( Muly ) रात हो अंधेरी सागर हो गहरा भटकी हुई नैया का दूर हो किनारा साहिल मे तब भी बाकी हो हिम्मत अगर तो हवा भी बन जाती है उसका सहारा हौसले से किनारा कभी दूर नहीं होता ठान ही लिया हो जिसने वह मजबूर नहीं होता धाराओं का तो काम ही…
ओ मेरी प्रियसी
ओ मेरी प्रियसी ( नेपाली कविता ) तिम्रा ति घना काला नयनहरु मा कतै त हौंला म तिम्रा चयनहरु मा अपार प्रेम राखी हृदय को द्वारमा आएँ म प्रिय तिम्रो सयनहरु मा पिडा को गाथा लिई म आएँ तिमि सामु तिमि तर आयौं कथा का बयानहरू मा मेरो गीत, मेरो…
शर्मसार मानवता | Kavita Sharmsar Manavata
शर्मसार मानवता ( Sharmsar Manavata ) धधकती स्वार्थ की ज्वाला में पसरती पिशाच की चाह में भटकती मरीचा की राह में चौंधराती चमक की छ्द्म में अन्वेषी बनने की होड़ में त्रिकालदर्शी की शक्ल में, दिखता है मानव वामन बनके चराचर जगत को मापने लगायी है अनगिन कतारें शुम्भ-निशुंभों की छाया में प्रकट है…
नशा कुर्सी का | Kavita nasha kursi ka
नशा कुर्सी का ( Nasha kursi ka ) नर झूम-झूम गाता नशा कुर्सी का छा जाता चंद चांदी के सिक्कों में बहुमत नेता पाता कुर्सी का चक्कर ऐसा सत्ता के गलियारों में वादे प्रलोभन सीखो भाषण दो हजारों में समीकरण सारे हो कुछ प्यादे हमारे हो जोड़-तोड़ राजनीति राजनीतिक वारे हो…
मधु-मक्खी | Madhumakhi par kavita
मधु-मक्खी ( Madhumakhi ) मधु-मक्खी की महानता …..| 1.सौ शहर-सौ खेत गई, सौ कलियों से मुलाकात हुई | साथ मे लाखों साथी लेकर, सौ गलियों से शुरुवात हुई | मुख मे मधुरस भरकर, पहुँच गई अपने ठिकाने मे | दिन-रात मेहनत करती, लगती हैं शहद जुटाने मे | मधु-मक्खी की महानता …..| 2.फूलों से…