मां बाप बेवजह बदनाम होते है

मां बाप बेवजह बदनाम होते है | Poem dedicated to parents in Hindi

मां-बाप बेवजह बदनाम होते है

( Maa-baap bewajah badnaam hote hai ) 

 

 

शिक्षा संस्कार देते हमें अंगुली पकड़ सीखलाते हैं।
लाड प्यार से पालन करते वो प्रेम सुधा बरसाते हैं।
उन्नति मार्ग सदा दिखलाते बीज संस्कारी बोते हैं।
भली सीख देते मां-बाप बेवजह बदनाम होते हैं।

 

संघर्षों से खुद भीड़ जाते शीतल स्नेह बयार बहाते।
सत्य शील मान मर्यादा दुनिया में जीना सिखलाते।
पग पग पथ प्रदर्शक वो सारे तीर्थों का धाम होते हैं।
संतान सुख मैं सुखी मां-बाप बेवजह बदनाम होते हैं।

 

आचरणों को संभालो छत्रछाया उन्हें मत निकालो।
वृद्धाश्रम भेजने वालों पुत्र धर्म को जरा निभा लो।
सेवा का अवसर आया आशीषो में सब सुख होते हैं।
भला चाहते सदा मां-बाप बेवजह बदनाम होते हैं।

 

मां के आंचल की छाया पिता प्रेम का बहता झरना।
जीवन में आनंद तभी है संग में जीना संग में मरना।
हर्ष खुशियों घर में आती उनके चरण जहां होते हैं।
पूजनीय वंदनीय मां-बाप बेवजह बदनाम होते हैं।

 

रचनाकार : रमाकांत सोनी सुदर्शन

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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