फुरसत मिली | Poem fursat mili
फुरसत मिली
( Fursat mili )
फुरसत मिली, पढ़ लूं तहरीरें लिखी
जो पानियों ने पानी पर
सुना है जनमों से सब्र लिये बहता है
कोई आबशार किसी के लिये कहीं पर
बरसता अब्र, गीली ज़मीं, पर प्यास
लिये मेरा मन,
पानी, पानी बहता दरिया शायद मेरे
लिये यहीं पर….
उफ़ुक उधर भी था, उफ़ुक इधर
मशरिक में भी
मगर जमीं आस्मां को मिलते न देखा
हमने कहीं पर
लेखिका :- Suneet Sood Grover
अमृतसर ( पंजाब )