बस्ता
( Basta )
पीठ पर लादे
गोवर्धन-सा बड़ा बस्ता
दीखे गिरिधर
आ रहे हैं श्यामसुंदर
चढ़ रहे वे
सोपान शिक्षा के
डगमगाते पांव पतले
कांपते-हांफते
तीसरी में ही ग्ए
बन गए हैं फायियान
ढ़ो रहे –
संसार भर का ज्ञान
पूरी पढाई कर
निकले जब
स्कूल से
बन गए हैं बोनसाई
शेखर कुमार श्रीवास्तव
दरभंगा( बिहार)