हम दिल से हारे
( Hum Dil se Hare )
दुनिया को देखने का अपना नुक़्ता-ए-नज़र है मेरा,
मोम के लिए मोम हूँ वरना हर लफ़्ज़ खंजर है मेरा,
हम दिल से हारे दिमाग़ करता ना ऐसी बेवकूफ़ियाँ,
रिश्ते निभाने की ख़ातिर ज़िंदगी हुआ ज़हर है मेरा,
मोहब्बतों की..बेपनाह गुल खिलाने की आरज़ू थी,
मगर नफ़रतों से जो हारे हुआ ये दिल बंजर है मेरा,
अक्सर..रिश्तों की तक़द्दुस को भूलते देखा सबको,
मुकद्दस रिश्तों के ये हश्र देख उफनता बहर है मेरा,
झूठी रौशनियाँ यह ज़ाहिरी आसाईशों की नुमाइशें,
इन सबसे बिल्कुल ही..मुख्तलिफ़ सा दहर है मेरा!
आश हम्द
( पटना )