Poem in Hindi on child labour

बाल मजदूरी | Poem in Hindi on child labour

बाल मजदूरी 

( Bal majduri ) 

 

नही करवाना बाल- मजदूरी,

समझें इनकी कोई मज़बूरी।

बनने दो इनको शक्ति-शाली,

बचपने में होती है कमजोरी।।

 

पहले होने दो शरीर मज़बूत,

रखना  बाल मजदूरी से दूर।

बेटी पढ़ाओं व बेटी बचाओं,

धूप तपिश से रखो इन्हें दूर।।

 

यही बच्चें कल के है भविष्य,

शिक्षा मिलती गुरु से शिष्य।

कोई खुद गर्ज बनो ना आज,

तब ही देश बनेगा खुशहाल।।

 

बाल मजदूरी का करें विरोध,

मजबूरी हो तो करें सहयोग।

हाथ में दो कलम इन्हें आज,

प्यारा बनाएँ अपना समाज।।

 

समझें बेटी-बेटा एक समान,

आन बान इनसे स्वाभिमान

बेटे है अंश तो बेटियां है वंश,

होठों पर हंसी व दे मुस्कान।।

 

रचनाकार : गणपत लाल उदय
अजमेर ( राजस्थान )

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *