Jeevan sangharsh par kavita
Jeevan sangharsh par kavita

जीवन ही संघर्ष है

( Jeevan hi sangharsh hai )

 

 

परिश्रम करने वालों की कभी हार नहीं होती,

यें मेहनत कभी किसी की बेकार नहीं जाती।

हिम्मत हौसला और जिसने भी रखा विश्वास,

सफलताओं की कुॅंजी उसे मिलती ही जाती।।

 

बन्जर धरती पर भी इन्सान फूल खिला देता,

ये इंसान चाहें तो पत्थर से नीर निकाल देता।

माना उसका परिणाम आने में वक्त है लगता,

परिश्रम एकदिन सभी का अवश्य रंग लाता।।

 

केवल लक्ष्य को देखना एवं वहां पर पहुॅंचना,

धनुर्धारी अर्जुन जैसा बनकर नेत्र को भेदना।

चाहे अनेंक बार विफलताएं मिलती ही जाऐ,

लेकिन परेशानियाें से‌ कोई भी नही घबराना।।

 

पथपर मिलेंगे ऐसे अड़चन वाले काॅंटे हज़ार,

उनको कुचलते जाना एवं आगें बढ़ते ‌रहना।

रखना है दिल में जोश जज़्बा एवं यह लगन,

पर्वत, पहाड़ तोड़कर रास्ता बनाते ही जाना।।

 

जीवन ये संघर्ष है कभी हार कभी ये जीत है,

गुलशन है गुलज़ार है खुशहाल यें घरबार है।

यह आलस ही है मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु,

रुपया आज मैरे पास है वो कल तेरे पास है।।

 

 

रचनाकार : गणपत लाल उदय
अजमेर ( राजस्थान )

 

 

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