होली है | Poem in Hindi on Holi
होली है
( Holi hai )
तन -मन पे छाई जवानी रे,
होली देखो आई रे !
होली है !!
इधर भी टोली है,उधर भी टोली,
ऊँच-खाल होई जाई बना मत भोली।
भर-भर के मारो पिचकारी रे,
होली देखो आई रे !
तन -मन पे छाई जवानी रे,
होली देखो आई रे !
होली है !!
भीगी जवानी, बनेगी कहानी।
कोरे बदन पे चढ़ेगा ऊ पानी।
लेबै न कोई रगड़ाई रे,
होली देखो आई रे !
तन -मन पे छाई जवानी रे,
होली देखो आई रे !
होली है !!
तोहरे पिचकारी में रंग नहीं बाटे,
मारे ला डुबकी भले घाटे-घाटे।
करा न तू ऐसी ठिठोली रे,
होली देखो आई रे !
तन -मन पे छाई जवानी रे,
होली देखो आई रे !
होली है !!
कितना तू खेलबा भरी नहीं मनवाँ,
काढ़ लेबा लागत तू हमरो परनवाँ।
अब न करा जोराजोरी रे,
होली देखो आई रे !
तन -मन पे छाई जवानी रे,
होली देखो आई रे !
होली है !!
रामकेश एम.यादव (रायल्टी प्राप्त कवि व लेखक),मुंबई