जीवन ही कुछ ऐसा है | Poem in Hindi on jeevan
जीवन ही कुछ ऐसा है
( Jeevan hi kuch aisa hai )
जीवन ही कुछ ऐसा है
समझो दुःख के जैसा है
सोंचते हो सुख है जीवन
कभी नही यह वैसा है।
देख ले पापा का जीवन
जीना सुबहो शाम तक,
कैसे कैसे खोजते सुख
खेत से खलियान तक।
पेड़ ना फलता है पैसा
कर्म जैसा फल है वैसा
गढ़ ले अपनी जिंदगी खुद
चाहता है खुद ही जैसा।
मोतियों से कम नहीं है
आंसुओ का एक भी कण
सीख ले कीमत लगाना
दुःख में आते हैं जो पल।
भावना में बह न अपने
भूल न जीवन के सपने,
क्या करेगा लौट वापस
रोएगा फिर सबसे दुखड़ें।
व्यंग्य कर पूछेंगे तुमसे
क्या किया?तू कैसा है?
सोंचते हो सुख है जीवन
कभी नही यह वैसा है।
यह भी पढ़ें :-