हे शिव तनया ! मातु नर्मदे
हे शिव तनया ! मातु नर्मदे
( नर्मदा जयंती – गीतिका )
हे शिव तनया ! मातु नर्मदे ! नमन तुम्हें हर बार ।
हमें प्यार से दुलराने तुम, खुद चल आईं द्वार !!
सदा सदा आशीष दिया है, तुमने सब पुत्रों को
सुख समृद्धि और सौभाग्यों के देकर उपहार !!
दे अपने वरदान हमारे , जीवन धन्य किये हैं
करुणा और कृपा से माता ! किया पूर्ण संसार !!
अपने दोनों तट की धरती,शस्य श्यामला करदी
सींच रही हो अमृत जल से,तुम सबके घर द्वार !!
हे शिव रूपा! हे कल्याणी!आदिकाल सेआकर
माता तुमने इस भारत पर कियेअमित उपकार !!
तीर्थ तुम्हारे घाट और तट, महा तीर्थ पावन जल
माता ! तुमसे हुए जगत में, शिव शंकर साकार !!
धन्य अमरजन सदा तुम्हारी करें परिक्रमा माता!
गंगा माॅं ! खुद तुम्हें नहाने आ जातीं हर बार !!
भक्त अपार पारहे तुमसे ऋद्धिसिद्धि सुखशान्ति
उन सबके मन प्राण गा रहे जन्म जन्म आभार !!
माता ! तुम से हरा भरा है मध्य पश्चिमी भारत
यह धरती”आकाश”तुम्हारा, ही है अब परिवार !!
सदा बनाये रखना माता ! हम पर यह व्यवहार
सदा बहाये रखना माता ! यह पावन जल धार !!
कवि : मनोहर चौबे “आकाश”
19 / A पावन भूमि ,
शक्ति नगर , जबलपुर .
482 001
( मध्य प्रदेश )