Poem Koi aisi Ghazal likhoon
Poem Koi aisi Ghazal likhoon

कोई ऐसी गजल लिखूं

( Koi aisi ghazal likhoon ) 

 

कोई ऐसी गजल लिखूं, वो प्रेम सितारा हो जाए।
अपनापन अनमोल बरसे, नेह की धारा हो जाए।

रच लूं सुंदर गीत सुरीला, नगमा ये प्यारा हो जाए।
रस में भीगे शब्द मोहक, हसीं काव्यधारा हो जाए।

दोहा मुक्तक छंद सोरठा, सवैया भी सारा हो जाए।
चौपाई मात्राएं सोलह, खरी सोला आना हो जाए।

भाव भरी कविता उमड़े, संगीत लुभाना हो जाए।
आपसी मिलन कविवर, संगम ये सुहाना हो जाए।

गीतों की लड़ियां मनभावन, पावन धारा हो जाए।
महक उठे महफिल सारी, समां ये प्यारा हो जाए।

झूम उठे श्रोता सारे, सुरीली शब्द धारा हो जाए।
चेहरों पे मुस्कान मधुर, ये दिल इकतारा हो जाए।

दुनिया का दर्पण कविता, किरदार हमारा हो जाए।
सद्भावो की बहती धारा, मन मेरा बनजारा हो जाये।

 

कवि : रमाकांत सोनी

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

यह भी पढ़ें :-

भुजंग हुआ बदनाम व्यर्थ ही | Kavita Bhujang hua Badnam

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here