आस्था | Poem on Astha in Hindi
आस्था
( Aastha )
भावों के भंवर में बोलो बहकर कहां जाओगे
मंदिर सा मन ये मेरा कभी दौड़े चले आओगे
आस्था की ज्योत जगाकर दीपक जला लेना
भाव भरे शब्द सुमन पूजन थाल सजा लेना
विश्वास जब भी उमड़े प्रेम की घट धारा आए
आस्था उर में जागे जब दिल कोई गीत गाए
प्रभु के चरणों में थोड़ा शीश तुम झुका लेना
सद्भावों की बहती गंगा में गोते लगा लेना
आशाओं के दीप मन में कर देंगे उजियारा
आस्था विश्वास भर लो सुधरे जीवन सारा
वैर भाव भूलकर सब चल दो उस ओर भी
नया सवेरा होगा और जीवन की भोर भी
कवि : रमाकांत सोनी
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )