Poem on laddoo
Poem on laddoo

लड्डू

( Laddoo )

मनहरण घनाक्षरी

 

गोल मटोल मधुर, मीठे मीठे खाओ लड्डू।
गणपति भोग लगा, मोदक भी दीजिए।।

 

गोंद मोतीचूर के हो, तिल अजवाइन के।
मेथी के लड्डू खाकर, पीड़ा दूर कीजिए।।

 

खुशी के लड्डू मधुर, खूब बांटो भरपूर।
खुशियों का चार गुना, मधु रस पीजिए।।

 

शादी समारोह कोई, पर्व हो खुशियों भरा।
उत्सव जन्मदिन हो, लड्डू बांट दीजिए।।

 

कवि : रमाकांत सोनी

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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