रोपया | Poem on rupees in Bhojpuri
” रोपया “
( Ropya )
रोपया के ना कवनो जात
जे के ज्यादा उहे बाप
उहे दादा उहे भाई
चाहे हो कईसनो कमाई
रोपया से समान मिलेला
जित धरम अउर शान मिलेला
रोपया से सब कुछ खरीदाला
कोट कचहरी अउर न्याय बिकाला
रोपया में बा अ्इसन बात
रोपया के ना कवनो जात
रोपया से ही राज भइल बा
रोपया से ही काज भइल बा
रोपया पे ही टिकल बा सांस
रोपया नाही त छुटे साथ
रोपया हटे सबके नाथ
रोपया के ना कवनो जात
रोपया से जिंदगी रोपाला
कुर्सी,सता अउर साज भेटाला
रोपया से बा सुख,चैन,आराम
आदमी नाही रोपया के होला नाम ।