Belana-chauki par Bhojpuri kavita
Belana-chauki par Bhojpuri kavita

बेलना-चौकी

( Belana-chauki )

 

तोहरा का बनेके बा
बेलना या चौकी
बेलना दबावेला, बजावेला, घुमावेला
चौकी देखेला, सहेला, निभावेला
चौकि जानेला, मानेला, पहचानेला
बेलना कुचलेला, उछलेला, ठुकरायेला

बेलना जब-जब फिसलेला
चौकि तब-तब रोकेला
बेलना बार-बार उमड़ के जायेला
चौकि ‌‌‌रुक शांत हो मुसकरायेला

दुनु के क‌इसन मेल बा
बेलना अउर चौकि के क‌इसन खेल बा
एगो शान्ति के पहचान ह‌ऽ
दुसर हुरदुग के निशान हऽ

अगर एगो शान्त होके ना सहित
रोटी अच्छा क‌इसे होइत
क‌इसे पेट भरा‌इत
रोटी क‌इसे भाइत

चौकि बेलना के अंतर जानऽ
का बनेंके बा तु पहचानऽ

 

कवि – उदय शंकर “प्रसाद”
पूर्व सहायक प्रोफेसर (फ्रेंच विभाग), तमिलनाडु
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