Poem on Tabassum

तबस्सुम | Poem on Tabassum

तबस्सुम

( Tabassum ) 

 

तरोताजगी भर जाती तबस्सुम
महफिल को महकाती तबस्सुम
दिलों के दरमियां प्यारा तोहफा
चेहरों पे खुशियां लाती तबस्सुम

गैरों को अपना बनाती तबस्सुम
रिश्तो में मधुरता लाती तबस्सुम
खिल जाता दिलों का चमन सारा
भावों की सरिता बहाती तबस्सुम

घर को स्वर्ग सा सुंदर बनाती तबस्सुम
सुंदरता में चार चांद लगाती तबस्सुम
चेहरे खिल जाते हैं एक मुस्कान से
प्यार का एहसास कराती तबस्सुम

 

रचनाकार : रमाकांत सोनी सुदर्शन

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

यह भी पढ़ें :-

विधि के विधान का सम्मान करो | Geet Vidhi ke Vidhan

 

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *