फूलों सी कोमल नारी | Poem nari
फूलों सी कोमल नारी
( Phoolon se komal nari )
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की विशेष प्रस्तुति
सोनू!फूलों सी मासूम हो
फूलों में सिक्त शबनम की बूंदे हो
देखूँ तुम्हें जी भरके भी जी भरता नहीं
बस तेरी तस्वीरों को ही देखता रहता हूँ
पूरी कायनात जैसी हो तुम
तुम्हें देख खुदा भी रश्क करता होगा
ऐसी खूबसूरत सी कोई अप्सरा हो
बस तुम्हें ही निहारता रहता हूँ तस्वीरों में
चञ्चल हिरनी जैसी आँखे तुम्हारी
एक पूरी गजल की किताब लगती हो
झील से भी गहरी आँखों में डूब जाता हूँ
मानो सागर जैसी लहराती जीवन में छा जाती हो
गंगा जैसी पावन निर्मल भोलापन
झरनों की सी बलखाती बहती सी हो तुम
आंखों में ही दिल में बसी हसीन मुस्कान हो
लरजते हुए होंठो की सी महताब हो
नारी सौंदर्य में राधा सों सुन्दर हो
सरस्वती की साक्षात ज्ञान स्वरूपा हो
लब्जों में बयां नही हो सकती वो मिसाल हो तुम
रब में तुम जैसी कोई आफताब नहीं ऐसी हो तुम