Poem Pyar ki Kashti
Poem Pyar ki Kashti

प्यार की कश्ती

( Pyar Ki Kashti )

 

शाम सलोनी भी लौटा दो।
सागर की लहरें लौटा दो।
कश्ती में जो गुजरी रातें,
वो मीठी करवट लौटा दो।

कोरे कागज पे जो लिखा ,
सारी मेरी ख़त लौटा दो।
भींगे थे हम जिस सावन में,
वो मेरा सावन लौटा दो।

शोहरत,दौलत तुम रख लो,
दर्द मेरे दिल का लौटा दो।
मेरी ख्वाहिश के जंगल का
थोड़ा सा मंजर लौटा दो।

साँसों के पेड़ों पे झूली,
वो मेरा सरगम लौटा दो।
उड़ते थे उन्मुक्त गगन में,
पर मेरा तू वो लौटा दो।

गुरुर न कर माटी के तन पे,
ख्वाब कुंवारे वो लौटा दो।
हारूँगा ये प्यार की दौलत,
बस मेरी धड़कन लौटा दो।

 

रामकेश एम यादव (कवि, साहित्यकार)
( मुंबई )
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