आओ बिखेरे प्यार की खुशबू | Poem Pyar ki Khushboo
आओ बिखेरे प्यार की खुशबू
( Aao bikhere pyar ki khushboo )
प्यार सब को ही जोड़ता है,
नही किसी को ये तोड़ता है।
आओ बिखेरो प्यार ख़ुशबू,
नही रखो अपना कोई शत्रु।।
प्यार के होते अनेंक प्रकार,
इसी से चलता यह संसार।
हमने प्यार में गुजार दिये,
कई दिन, महिनें और साल।।
क्यों कि जाॅब ऐसी है यार,
दूर से होता है दुआ सलाम।
कहां है हम कहां है मुकाम,
आया जो ये बुखार ज़ुकाम।।
आपदा हो या कोई विपदा,
सभी में हम सहायक बनते।
प्यार से ही ये रिश्ते पनपते,
रिश्ते सारे नाज़ुक यह होते।।
प्यार से टूटेहुऐ रिश्ते जुड़ते,
जिससे घर परिवार मिलते।
चाहें हो अपनें या हो पराये,
इसी से महकते रिश्ते-नाते।।