Poem sheetla mata

शीतला माता | Poem sheetla mata

शीतला माता

( Sheetla Mata )

 

शीतलता दात्री शीतला, शीतल करे हरे सब पीरा।
जा पर कृपा करें माँ भवानी सहाय करे रघुवीरा।

 

गर्दभ हो विराजित माता, कलश मर्जनी कर सोहे।
ठंडा बासी आपको भाता, श्वेतांबर माता मन मोहे।

 

चेचक रोग नाशिनी मैया, पीत ज्वर हर संताप हरे।
आरोग्य  सुखदाता  माता,  हर्ष  मोद  आनंद  करें।

 

अभय मुद्रा मात विराजे, नयनज्योति जीवनदाता।
शीतल जल चढ़े द्वारे, तन मन पुलकित हो जाता।

 

ज्वरासुर हैजा की देवी, रक्तवती संग शोभायमान।
सर्व व्याधि नाशिनी माता, भक्त करे तेरा गुणगान।

 

पीड़ा हरणी मंगल करणी, रोग दोष हरती विकार।
राबड़ी का भोग प्यारा, शीतलाष्टमी बड़ा त्यौहार।

 

हल्दी चंदन मस्तक सोहे, दही चढ़े तेरे दरबार।
नंगे पांव जो दर आये, भरदे मां उनके भंडार।

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कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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