पाज़िटिव कविता! | Vyang
पाज़िटिव कविता!
( Positive Kavita : Vyang )
( Positive Kavita : Vyang )
माता-पिता और हम ->पिता जडें-माँ वृक्ष, तो हम फल फूल पत्ते हैं || 1.लंम्बा रास्ता-लंम्बा सफर, मुसाफिर हम कच्चे हैं | नहीं है अनुभव नई राहों का, अभी तो हम बच्चे हैं | चले अकेले बिना तजुर्बे, पग-पग मे बस धक्के हैं | पिता रास्ता-माँ सफर है, तो हम मुसाफिर अच्छे हैं | –>पिता…
मोहब्बत उसे भी थी ( Mohabbat use bhi thi ) हां मोहब्बत उसे भी थी, वो प्यार का सागर सारा। उर तरंगे ले हिलोरे, अविरल बहती नेह धारा। नेह सिंचित किनारे भी, पल पल में मुस्काते थे। मधुर स्नेह की बूंदे पाकर, मन ही मन इतराते थे। कोई चेहरा उस हृदय को,…
जीवन है अनसुझी पहेली ( Jeevan hai anasujhi paheli ) हे! मां आकर मुझे बताओ यह मुझे समझ ना आए क्यों? सब क्यों उलझा उलझा लगता यह कोई ना समझाए क्यों? पूछो पूछो पुत्र सयाने है खीझा खीझा उलझा क्यों? कौन प्रश्न हैं इतना भारी जो नहीं अभी तक सुलझा क्यों? जीवन…
देवों की साज़िश! ( Devon ki saazish ) दिन रात हो रही है बारिश, लगता है देवों ने रची है कोई साजिश! गरीबों के मकान ढ़ह रहे हैं, बारिश की पानी में बह रहे हैं। कमाएं क्या? खाएं क्या? सब यही कह रहे हैं। गांव से लेकर शहर तक हो चुके हैं जलमग्न, ठप…
पंडित श्रद्धाराम फिल्लौरी ( Shardha Ram Phillauri ) हे! संत साहित्य सरोवर के, मैं तुझ पे अभिमान करूँअर्पण करके क़लम मैं तुझको, हृदय से सम्मान करूँ॥ सहज सरल व्यक्तित्व तुम्हारा, साहित्य अद्भुत रचा न्याराबहायी प्रेम की रस-धारा, शत-शत मैं प्रणाम करूँ॥ विश्व-विख़्यात लिखी आरती, सभी के हृदय को जो ठारतीनत-मस्तक हैं सभी भारती, मैं भी…
झुंझुनू झुकना नहीं जानता है ( Jhunjhunu jhukna nahi janta ) रणवीर जुझारू भरी वसुंधरा सारा जहां मानता है युद्ध या अकाल हो झुंझुनू झुकना नहीं जानता है देशभक्ति भाव भरकर रणधीर समर में रहते हैं शूरवीर रणबांकुरे नित जय वंदे मातरम कहते हैं मर मिटने का जज्बा ले सीमा पर…