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पाज़िटिव कविता! | Vyang

पाज़िटिव कविता!

( Positive Kavita : Vyang )

 

कोरोना नहीं है
कोरोना नहीं है
रोना नहीं है
रोना नहीं है
आॅक्सीजन की कमी नहीं है
फैक्ट्रियों में पड़ी हुई हैं
बहुत सारी भरी हुई हैं
टैंकरों से आ रही है
हवाई जहाज भी ला रही है
बेड की कमी नहीं है
दवाएं भी हैं भरपूर
ब्लैक में नहीं मिल रही हैं
सफेदपोशों के यहां मिल रही है
कोविड अस्पतालों के बाहर भीड़ नहीं है
इक्का दुक्का ही दिख रहे हैं
चीख चिल्ला नहीं रहे हैं
हंस हंस कर बातें कर रहे हैं
होंठों पर बिखरी है मुस्कान
देखो खाली पड़ा है कितना श्मशान
चिंताओं का नहीं कोई नामोनिशान
बेवजह लोग फैला रहे हैं निगेटिविटी
देखो कितने मुस्कुरा रहे हैं सेलिब्रिटी
आपको दु:ख है तो आत्मनिर्भर बन जाइए
स्वावलंबी बन काम चलाइए
सरकार सरकार न चिल्लाइए
कोई मरे भी तो ग़म न करें
धैर्यशील और संयमित बने रहें
युग पुरुष कहलाएंगे
बेवजह चीखने चिल्लाने वाले
राष्ट्रद्रोही हो जाएंगे
कुछ इस तरह हम लोग
आसानी से कोरोना को हरा पाएंगे।

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नवाब मंजूर

लेखक-मो.मंजूर आलम उर्फ नवाब मंजूर

सलेमपुर, छपरा, बिहार ।

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