प्रेम की होली
प्रेम की होली

प्रेम की होली

( Prem Ki Holi )

 

खेलेंगे हम प्रेम की होली।

अरमानों की भरेगी झोली।

खुशियों की बारात सजेगी,

बिगड़ी सारी बात बनेगी।

नोंक-झोंक कुछ हल्की-फुल्की,

होगी हॅंसी-ठिठोली।

खेलेंगे हम प्रेम की होली।

 

महुए की मदमाती गंध,

फूलों की खुशबू के संग।

आया है दुल्हा ऋतुराज,

चढ़कर फाग की डोली।

खेलेंगे हम प्रेम की होली।

 

यूं झटको न अपनी कलाई,

ब्रजबाला से बोले कन्हाई।

अभी तो तेरी चूनर भींगी,

अभी है सूखी चोली।

खेलेंगे हम प्रेम की होली।

 

रंगों सा रंगीन हो सपना,

हो गुलाल सा जीवन अपना।

बैर-भाव सब कलुष मिटाके,

रंग जाये हर टोली।

सब बोले प्रेम की बोली।

खेलेंगे हम प्रेम की होली।

 

✍️

कवि बिनोद बेगाना

जमशेदपुर, झारखंड

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here