होली रंगों का त्योहार
होली रंगों का त्योहार

होली रंगों का त्योहार

( Holi Rangon Ka Tyohar )

 

होली रंगों का त्योहार
लाये मन में उमंग बहार,
नाचो गाओ मिल के सब।

रंग-बिरंगे गुलाल उड़ाओ
पुआ पकवान खाओ खिलाओ,
प्रेम सौहार्द के संग मिल के सब।

प्रकृत रूप-लावण्य निखरे
नाना पुष्पों के सुगंध बिखरे,
भौरें गावत गीत मल्हार मिल के सब।

मदन रिझावत रति रानी
सुनावत प्रेम के कथा कहानी,
फाग के राग गावत जन मिल के सब।

प्रियतम के मन गईल बौराई
गोरिया कनखी से देख हँसे ठठाई,
कामदेव जल भूनजात देख के सब।

शिव संग होली खेले भवानी
मधुसूदन के संग खेलत राधा रानी,
ढोल मंजिरा बजावत सुर-नर मिल के सब।

 

लेखक: त्रिवेणी कुशवाहा “त्रिवेणी”
खड्डा – कुशीनगर

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