पुत्री की वेदना शराबी पिता से | Kavita
पुत्री की वेदना शराबी पिता से
( Putri ki vedna sharabi pita se )
पापा मेरी किताब , मेरे अरमान है,
मेरी खुशी है, मेरा भविष्य है,
सब बेच मेरी खुशियों का
शराब पी गए,
पापा मां का मंगलसूत्र
सुहाग है मांग का सिंदूर है,
सब बेच उनके अरमानों का
शराब पी गए,
जो मिला था विरासत में
बुजुर्गों से जागीर ,
सब बेच पगड़ी की शोहरत
इज्जत शराब पी गए,
बोलते हो पीता हूं गम भुलाने को
पापा सोचते जो भविष्य मेरा
अपना सब गम भूल जाते ।
सुन पुत्री की वेदना
हाथ से गिर पड़ी शराब,
बोलती शराब है
अब मत मुझे छू,
बेटी के अरमानों का
गला न घोट,
दे उसकी खुशियों को
बुलंदियों की उड़ान,
महक जाए इस धरती से
उस अंबर तक,
सुन शराब की बात
बोल पड़े पापा के आंसू,
बेटी तू सरस्वती की है अवतार
जो दिखा दिए तुम ज्ञान का नूर।
लेखक– धीरेंद्र सिंह नागा
(ग्राम -जवई, पोस्ट-तिल्हापुर, जिला- कौशांबी )
उत्तर प्रदेश : Pin-212218