प्यार है तू देख मेरे गांव में

प्यार है तू देख मेरे गांव में

प्यार है तू देख मेरे गांव में

 

 

प्यार है तू देख मेरे गांव में

जो नहीं है शहर में लेकिन तेरे

 

नफ़रतों के ही मिले ख़ंजर मुझे

दोस्त चलता हूँ मै अपनें गांव में

 

शहर में तो तल्ख़ लहजे है बहुत

प्यार के लहजे है  मेरे गांव में

 

चोट दिल पे खा गया हूँ शहर में

प्यार के मरहम है मेरे गांव में

 

इसलिए सांसें है महकी प्यार की

खिल रहे है फूल मेरे गांव में

 

नफ़रतों की शहर में बू है आज़म

प्यार की ख़ुशबू है मेरे गांव में

 

 

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शायर: आज़म नैय्यर

(सहारनपुर )

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