प्यार से मुझको उसने मनाया नहीं
प्यार से मुझको उसने मनाया नहीं
प्यार से मुझको उसने मनाया नहीं ।
प्यार मुझपे कभी भी जताया नहीं ।।
मै उसे यार अपना कहूँ किस तरह ।
साथ उसने हमारा निभाया नहीं ।।
खूब आँसू बहाये है हमने मगर ।
हाल दिल का किसी को सुनाया नहीं ।।
बोलता सच रहा ज़िन्दगी में यहाँ ।
झूठ का मैंने खंज़र चलाया नही ।।
अपना कैसे कहूँ दोस्तों मै उसे ।
घर कभी उसने मुझको बुलाया नहीं।।
बेवफा ने मेरे तोड़ दिल को दिया ।
प्यार का उसने रिश्ता निभाया नहीं ।।
हर घड़ी उसको आज़म वफ़ा दी बहुत ।
मैंने उसको वफ़ा में सताया नहीं ।।
️
शायर: आज़म नैय्यर
(सहारनपुर )
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