प्यार से मुझको उसने मनाया नहीं

प्यार से मुझको उसने मनाया नहीं

प्यार से मुझको उसने मनाया नहीं

 

 

प्यार से मुझको उसने मनाया नहीं ।

प्यार मुझपे कभी भी जताया नहीं ।।

 

मै उसे यार अपना कहूँ किस तरह ।

साथ उसने हमारा निभाया नहीं ।।

 

खूब आँसू बहाये है हमने मगर ।

हाल दिल का किसी को  सुनाया नहीं ।।

 

बोलता सच रहा ज़िन्दगी में यहाँ ।

झूठ का मैंने खंज़र चलाया नही ।।

 

अपना कैसे कहूँ दोस्तों मै उसे ।

घर कभी उसने मुझको बुलाया नहीं।।

 

बेवफा ने मेरे तोड़ दिल को दिया ।

प्यार का उसने रिश्ता निभाया नहीं ।।

 

 हर घड़ी उसको आज़म वफ़ा दी बहुत ।

मैंने उसको वफ़ा में सताया नहीं ।।

 

 

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शायर: आज़म नैय्यर

(सहारनपुर )

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